Wednesday, August 12, 2015

नोबल सोल्स की नि:शुल्क पहल

दिल्ली जैसे बड़े शहरों में अब भी चलन है कि लोग जल्द ही अपने कपड़ों से उबने लगते है जाह़िर है हमारे बाज़ार की संस्कृति ने उनके मष्तिक पर गहरा असर किया है
एसी स्थिति में लोग अक्सर अपने वस्त्रों को बेकार समझकर फेंक देते है लेकिन क्या आप जानते है कि आपके बेकार पढ़े हुए कपड़े किसी जरूरतमंद के काम सकते है या फिर बेकार पड़े कपड़े इमारतों में काम कर रहे मजदूर गरीबों के लिए उपयोगी हो सकते है ?
लेकिन सच यह है कि नोबल सोल्स नाम की संस्था ने ऐसा कुछ कर दिखाया जो कि तारीफ- काब़िल है
उन्होंने पुराने कपड़ों को सिर्फ गरीब जरूरतमंदों तक पहुंचाया बल्कि इनके जरिए दिल्ली के कई झुग्गी झोंपड़ीं में रहने वाले गरीब  लोगों की मदद कर  अपनी अहम मददगार भुमिका का माँडल प्रस्तुत किया
नोबल सोल्स के अथक प्रयासों से  दिल्ली के दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में स्थित द्वारका के कई स्थानों पर सकारात्मक बदलाव देखने को मिले है और इसका श्रेय नोबल सोल्स के संस्थापक अब्दुल बासित ,निपुन जैन और नेहा नसीम खाँन को जाता है। 

               नेहा नसीम खाँन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से एम ए और अब्दुल बासित,निपुन जैन  गुरू गोविंद सिंह इद्रप्रश्थ यूनिवर्सिटी (जगन्नाथ इन्टरनेशनल मनेजमेंट काँलेज से बीबीए तथा रोटरी इन्टरनैशनल संस्था में रहकर कई समाजिक कार्य किए जिसमें रक्तदान शिविर महिलाओं को सिलाई, कड़ाई, बुनाई के लिए प्रेरित किया और स्नातक करने के बाद निपुन जैन बैंक आँफ अमेरिका में कार्यरत होने के बाबजूद सभी मित्रों के साथ मिलकर जिनमें अब्दुल बासित,नेहा नसीम खाँन,सुरजीत सिंह,पंकज सिंह ,प्रियंका जैन ,मोनिका सिंह  सत्यप्रकाश समेत  सभी मित्रों ने मिलकर  नोबल सोल्स गैर सरकारी संगठन की नींव रखी



नोबल सोल्स का मकसद है हर स्तर पर काम करना जिसमें समाज के हर जरूरतमंद तवके को साधन जुटाना है।

         मुझे आज भी वो दिन याद है जब 17 जून 2013 को उत्तराखंड के केदारनाथ में बादल फटने के कारण बाड़ का वह भयंकर ताडंव जिससे तकरीबन दस हजार लोग काल के काल में समा गए और पाँच हजार से अधिक लोग लापता हुए वहां  पर नोबल सोल्स  संगठन टीम नें बाड़ में फंसे लोगों के लिए खाद्य पदार्थों की सामग्री इकत्रित कर जरूरतमंदों तक पहुंचाकर राहत एवं वचाव कार्य में सहयोग देकर सभ्य समाज का उदाहरण स्थापित किया
इसी प्रकार 25 अप्रैल को नेपाल की राजधानी काठमांडू समेत कई हिस्सों में लगातार आए भूकंम्प ने लोगों को बड़े स्तर पर जान-माल की क्षति देखने को मिली जिसमें भारत सरकार समेत गैरसरकारी संगठनो में नोबल सोल्स शामिल होकर के अन्य देशों ने भी हर संभव सहायता प्रदान करने में कोर से को
सहयोग दिया

सच में जिस नए काम को करने के मकसद से नोबल सोल्स गैर सरकारी संगठन  ने कदम आगे बड़ाए वह उन्होंने पूरा कर दिखाया एक एसा काम जो मुश्किल ही नहीं चुनौती पूर्ण था ।।।।।